गृहमंत्री अमित शाह के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद जवानों के कल्याण से जुड़े कई लंबित प्रस्ताव पर जल्द फैसले की आस जगी है। शाह ने कश्मीर दौरे के वक्त जवानों के शिविर में रुककर उनकी समस्याओं पर बात की थी। गौरतलब है कि जवानों को सौ दिन अवकाश, घर के समीप पोस्टिंग, एक निश्चित आयु के बाद डेप्युटेशन वाली जगहों पर भेजने से जुड़े कई प्रस्ताव लंबित हैं। इन सभी सुझावों पर एक बार फिर सकारात्मक चर्चा हुई है।
सूत्रों ने बताया कि कठोर ड्यूटी में जीवन बिताने वाले जवानों के लिए साल में सौ दिन छुट्टी की व्यवस्था को लेकर कई बार विचार हुआ है। इस संबंध में कुछ कदम भी उठाए गए हैं। हालांकि, जवानों की संतुष्टि का स्तर कम है। सूत्रों के मुताबिक छुट्टी से जुड़े इस सुझाव को जवानों पर बढ़ रहे दबाव और उनकी मनोस्थिति ठीक रखने के लिहाज से काफी अच्छा माना गया था। लेकिन व्यवहारिक रूप से जवानों की कम संख्या और अतिरिक्त बटालियन की कमी के चलते इसे सुरक्षाबलों में बहुत आगे नहीं बढ़ाया जा सका। सूत्रों ने कहा कि प्रस्ताव के मुताबिक नई बटालियन का गठन होने पर ही दबाव कम किया जा सकता है।
अन्य प्रस्ताव आईटीबीपी, बीएसएफ आदि बलों में कठोर ड्यूटी में रहने वाले जवानों को 40 साल तक की उम्र तक काम करने के बाद डेप्युटेशन से जुड़ी पोस्टिंग सीआईएसएफ, एनआईए या अन्य जगहों पर देने का भी है। इसी तरह घर के पास पोस्टिंग देने के सुझाव को भी पूरी तरह से अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
सूत्रों की मानें तो इन सुझावों पर गृह मंत्रालय काफी गंभीर रहा है। आने वाले दिनों में संबंधित बलों से इन मामलों पर रिपोर्ट भी ली जा सकती है, क्योंकि ये सभी मुद्दे उच्चस्तरीय बैठकों में सामने आए थे।