April 26, 2024 : 4:32 AM
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योगी आदित्यनाथ सरकार का दावा- पूर्वांचल में काबू में जापानी बुख़ार, पर क्या है हक़ीक़त: गोरखपुर से ग्राउंड रिपोर्ट

अगस्त महीने का आख़िरी सप्ताह चल रहा है. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 100 नंबर वॉर्ड के बाहर दर्जनों की संख्या में लोग अपने बच्चों को भर्ती कराने की कोशिश में हैं. कुछ लोगों के बच्चे कई दिनों से भर्ती भी हैं. ज़्यादातर बच्चों को तेज़ बुख़ार के साथ झटके भी आते हैं जो कि जापानी इंसेफ़ेलाइटिस का प्रमुख लक्षण है.

दोपहर के क़रीब दो बजे महराजगंज ज़िले से आए दिलदार अली अपने तीन साल के बेटे को एंबुलेंस से उतार रहे थे. पूछने पर बताने लगे, “तीन चार दिन से बुख़ार आ रहा था. झटके भी आ रहे थे. ज़िला अस्पताल में दिखा रहे थे लेकिन डॉक्टर बोले कि बीआरडी ले जाओ, यहां इलाज नहीं हो पाएगा.”

देवरिया से राम राज अपनी अपने नाती यानी बेटी के बेटे को लेकर पिछले 28 दिन से गोरखपुर में हैं. मेडिकल कॉलेज में चार वर्षीय बच्चे का इलाज चल रहा है. व्यवस्था से बेहद नाराज़ हैं. कहते हैं, “बुख़ार के साथ झटके आ रहे थे. देवरिया में इलाज नहीं हुआ. यहां आए हुए 28 दिन हो गए हैं, कुछ पता नहीं चल रहा है कि उसे क्या हुआ है और उसका क्या इलाज चल रहा है. जिससे पूछो तो एक-दूसरे पर टालने लगता है.”पिछले हफ़्ते अख़बारों में यह ख़बर भी छपी कि कुशीनगर ज़िले के एक ही गांव में बड़ी संख्या में बच्चे इंसेफ़ेलाइटिस से पीड़ित हैं जिनमें तीन बच्चों की मौत भी हो चुकी है. अख़बारों में यह ख़बर भी छपी थी कि इंसेफ़ेलाइटिस के टीके भी ख़त्म हो गए हैं और टीकाकरण का काम रुका हुआ है. हालांकि उसी दिन गोरखपुर के अतिरिक्त स्वास्थ्य निदेशक डॉक्टर रमेश गोयल ने बीबीसी को बताया कि टीके की कमी हुई ज़रूर थी, लेकिन अब कोई कमी नहीं है और टीकाकरण हो रहा है.

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