2 घंटे पहले
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शुक्रवार, 13 अगस्त को नाग पंचमी है। इस दिन काफी लोग जीवित सांपों की पूजा करते हैं, सांप को दूध पिलाते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शिव जी नाग को अपने गले में धारण करते हैं। सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर शिवलिंग के साथ नागदेव की भी पूजा करनी चाहिए।
जीवित सांप को दूध पिलाने से बचना चाहिए। नागदेव की प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करनी चाहिए। प्रतिमा पर दूध चढ़ा सकते हैं। नागदेव का पूजन मंदिर में करना ज्यादा श्रेष्ठ रहता है।
सपेरे जंगल से नाग को पकड़कर उनके दांत तोड़ देते हैं। जिससे सांप शिकार करने लायक नहीं रहता और पंचमी के बाद भूख से मर जाता है। इसका पाप पूजन करने वाले को भी लगता है। सांप दूध नहीं पीता है। नाग शाकाहारी प्राणी नहीं है, वह दूध नहीं पीता। दूध सांप के लिए जहर की तरह होता है। दूध पिलाने से सांप की मृत्यु हो सकती है।
नाग पूजा में हल्दी को उपयोग जरूर करना चाहिए। धूप, दीप अगरबत्ती जलाकर नागदेव की पूजा करें। हार-फूल, दूध आदि चीजें चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं। नारियल अर्पित करें।
सांपों से जुड़े फैक्ट्स
पं. शर्मा के अनुसार सांप की आयु अधिकतम एक सौ बीस वर्ष होती है। इसके अलावा इनकी मृत्यु आठ प्रकार से होती है। इंसान के द्वारा, मोर, नेवला, बिल्ली, चकोर, शूकर और बिच्छु द्वारा मारने से या किसी बडे जानवर के पैरों के नीचे दबने से सांप की मृत्यु होती है। इन सभी से बच जाने पर भी एक सांप करीब एक सौ बीस वर्ष जी पाता है।
आमतौर पर सापं आठ कारणों से डंसता है। पैरों की नीचे दबने से, वैर भाव से, खुद की संतान की रक्षा हेतु, उन्मांद में, भूखा हो तो, काल पूरा होने, डर की वजह से सांप किसी इंसान को डंस सकता है।
सांप के मुंह में बत्तीस दांत होते हैं। जीभ के दो भाग होते हैं। जहर वाली चार दाढ़ें होती हैं। इनके नाम हैं मकरी, कराली, कालरात्रि और यमदूती।
सांपों हमेशा जहरीला नहीं होता है। ये दाढ़ों के ऊपर विषग्रंथी में बनता है और मस्तिष्क से होते हुए दांतों के द्वारा शिकार के शरीर में जाता है। इन चारों दाढ़ों को रंग भी सफेद, लाल, पीला और काला होता है। अगर कभी कोई सांप डंस लेता है तो तुरंत ही निकट के चिकित्सालय में पहुंचना चाहिए।