भिवानी11 घंटे पहलेलेखक: राजकिशोर
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भारतीय मुक्केबाज पूजा रानी ने टोक्यो ओलिंपिक में महिलाओं की 75 किलोग्राम वेट कैटेगरी के क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली है। पहले राउंड में बाय पाने वाली 30 साल की पूजा ने बुधवार को राउंड ऑफ 16 के मुकाबले में अल्जीरिया की इचराक चाइब को 5-0 से हराया। अगर पूजा अगली बाउट जीत जाती हैं तो उनका मेडल पक्का हो जाएगा।
मेडल की दहलीज पर खड़ीं पूजा के बॉ़क्सर बनने की कहानी काफी रोचक होने के साथ-साथ देश की करोड़ों लड़कियों के लिए खासा इन्सपायरिंग भी है। पूजा ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ इस खेल को अपनाया था। चलिए जानते हैं कि आखिर पूजा इस खेल में आईं कैसे।
कॉलेज की फिजिकल टीचर ने अच्छी हाइट देखकर सिलेक्शन किया
ऐसा नहीं है कि पूजा रानी बचपन से बॉक्सिंग करना चाहती थीं। 2008 में आदर्श कॉलेज भिवानी में बीए फर्स्ट ईयर में एडमिशन लेने तक उन्होंने कभी इस खेल में जाने के बारे में नहीं सोचा था। कॉलेज की फिजिकल टीचर मुकेश रानी महिला मुक्केबाजों का सिलेक्शन कर रही थीं। उन्होंने पूजा को देखा तो सोचा कि अच्छी हाइट के कारण यह लड़की मुक्केबाजी में अच्छा कर सकती हैं। फिर उन्होंने पहले से सिलेक्टेड लड़कियों के साथ पूजा को भी लाइन में खड़ा कर दिया। यहीं से पूजा के मुक्केबाजी सफर की शुरुआत हुई।
कोच संजय कुमार के साथ भारतीय मुक्केबाज पूजा रानी।
एक साल तक घर में बॉक्सिंग के बारे में नहीं बताया था
पूजा कॉलेज की बॉक्सिंग टीम में तो चुन ली गई लेकिन घर में इस बारे में कुछ नहीं कहा। पूजा के पिता बिल्कुल नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी बॉक्सिंग करे। भिवानी देश में बॉक्सिंग का गढ़ है। इसके बावजूद हरियाणा पुलिस में कार्यरत उनके पिता राजवीर बोरा उन्हें यही समझाते रहते थे कि अच्छी लड़कियां बॉक्सिंग नहीं करती हैं। पूजा के घर वालों को डर था कि अगर मुक्केबाजी में चोट लगने से चेहरा खराब हो गया तो उसकी शादी कैसे होगी।
चोट लगती तो फिजिकल टीचर के घर ठहर जाती थी
पूजा जानती थी कि अगर घर वालों ने कभी उनका चोटिल चेहरा देख लिया तो बॉक्सिंग का सारा राज खुल जाएगा। इसलिए अगर उन्हें चोट लगती थी तो वह फिजिकल टीचर मुकेश रानी के घर पर ही रुक जाती थी। मुकेश रानी के पति संजय कुमार बॉक्सिंग कोच थे। बाद में उन्होंने खुद पूजा को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग भी दी।
पूजा रानी दो बार एशियन चैंपियनशिप की गोल्ड मेडलिस्ट रह चुकी हैं।
2017 में दिवाली में जल गया था हाथ
पूजा रानी 2017 में दीवाली में पटाखे चलाते वक्त अपना हाथ जला बैठी थी। इस कारण उन्हें आठ महीने खेल से दूर रहना पड़ा था। हाथ ठीक होने के बाद उन्होंने जल्दबाजी में पुरानी लय हासिल करने की कोशिश की और इससे उनका कंधा चोटिल हो गया। यहां भी उनके कोच संजय कुमार ने उनका हौसला बढ़ाया और इंटरनेशनल बॉक्सिंग में उनकी वापसी कराई।
एशियन चैंपियनशिप में दो बार जीत चुकी हैं गोल्ड
पूजा रानी एशियन चैंपियनशिप में 2019 और 2021 में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। 2015 में उन्हें इस चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज और 2021 में सिल्वर मेडल मिला था। इसके अलावा वे 2014 में एशियन गेम्स की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट भी हैं।