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नई दिल्ली8 घंटे पहले
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मध्यप्रदेश (MP) पेट्रोल और राजस्थान डीजल पर देश में सर्वाधिक टैक्स वसूलता है। यह जानकारी सोमवार को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में दी। एक लिखित जवाब में उन्होंने बताया, ‘मध्यप्रदेश पेट्रोल पर 31.55 रुपए प्रति लीटर वैट लगाता है, जो देश में सर्वाधिक है। वहीं, राजस्थान डीजल पर 21.82 रुपए प्रति लीटर वैट लेता है।’ पेट्रोल और डीजल पर सबसे कम वैट अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में क्रमशः 4.82 रुपए और 4.74 रुपए प्रति लीटर है।
दरअसल, लोकसभा सदस्य उदय प्रताप सिंह और रोडमल नागर ने पूछा था कि क्या सरकार पूरे देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को एक समान करने की योजना बना रही है? इस पर पुरी ने बताया, ‘पेट्रोल और डीजल के मूल्य वैट और स्थानीय वसूलियों जैसे घटकों के कारण हर जगह अलग होते हैं। इसलिए देश में पेट्रोल, डीजल की कीमतें एक समान करने की योजना नहीं है।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क 32 रुपए लेते हैं, इसका उपयोग योजनाओं पर
पुरी ने एक अन्य उत्तर में कहा, 2010 से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत इंटरनेशनल मार्केट की कीमतों से तय होती हैं। इन पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 32 रुपए लिए जाते हैं। इस राजस्व का उपयोग 80 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सहायता देने में किया जाता है। इसके अलावा लोगों को नि:शुल्क टीका लगाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि आदि में किया जाता है।
86% बढ़ा कुल टैक्स कलेक्शन
केंद्र सरकार ने संसद में बताया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में कुल कर संग्रह लगभग 86% बढ़कर 5.57 लाख करोड़ रुपए रहा। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह 2.47 लाख करोड़ रुपए रहा था।
वैट वसूलने के राजस्थान और MP आगे
राजस्थान में पेट्रोल पर 36 और डीजल पर 26% वैट वसूला जाता है। वहीं अगर मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां पेट्रोल पर 33 और डीजल पर 23% वैट वसूला जा रहा है। यह मणिपुर और तेलंगाना के बाद सबसे ज्यादा है। MP में वैट के अलावा पेट्रोल पर 4.50 और डीजल पर 3 रुपए लीटर टैक्स वैट लगाने के बाद अलग से वसूला जाता है।
केंद्र व राज्य सरकारें पेट्रोल डीजल पर टैक्स लगाकर भर रहीं अपना खजाना
2014 में मोदी सरकार आने के बाद वित्त वर्ष 2014-15 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर एक्साइज ड्यूटी से 1.72 लाख रुपए की कमाई हुई थी। 2020-21 में यह आंकड़ा 4.54 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया। यानी सिर्फ 6 सालों में ही एक्साइज ड्यूटी से केंद्र सरकार की कमाई 3 गुना हुई। वहीं राज्यों को पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाने से होने वाली कमाई 6 साल में 43% बढ़ी है।
वित्त वर्ष 2014-15 में इससे होने वाली कमाई 1.37 लाख करोड़ थी जो 2020-21 में बढ़कर 2.03 लाख करोड़ पर पहुंच गई। कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बावजूद भी सरकार ने पेट्रोल- डीजल पर भारी टैक्स वसूलकर अपना खजाना भरा है।
टैक्स के बाद 3 गुना महंगे हो जाते हैं पेट्रोल-डीजल
देश में पेट्रोल-डीजल का बेस प्राइस तो अभी 41 रुपए है। लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगने वाले टैक्स से इनकी कीमतें देश के हिस्सों में 110 रुपए के पार पहुंच गई हैं। केंद्र सरकार 33 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं। इससे पेट्रोल-डीजल का दाम बेस प्राइज से 3 गुना तक बढ़ गया है। भारत में पेट्रोल पर 55 और डीजल पर 44 रुपए से भी ज्यादा टैक्स वसूला जाता है।
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का गणित
पेट्रोल/लीटर (रु.) | डीजल/लीटर (रु.) | |
बेस प्राइस | 41.00 | 42.00 |
भाड़ा | 0.36 | 0.33 |
एक्साइज ड्यूटी | 32.90 | 31.80 |
डीलर कमीशन | 3.85 | 2.60 |
वैट | 23.43 | 13.14 |
कुल कीमत | 101.54 | 89.87 |
नोट: ये आंकड़े 16 जुलाई को दिल्ली में पेट्रोल-डीजल की कीमत के हिसाब से हैं।