April 25, 2024 : 1:17 PM
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बॉम्बे हाईकोर्ट: जज ने स्टेन स्वामी के काम पर सम्मान दर्शाती टिप्पणी वापस ली

एनआईए द्वारा आपत्ति जताने पर बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे ने स्टेन स्वामी के कामों के प्रति सम्मान जताने के लिए की गई अपनी टिप्पणी वापस ले ली। जस्टिस शिंदे ने 19 जून को खुली अदालत में कहा था कि कानूनी मुद्दे और आरोपों को अलग रखें तो स्टेन स्वामी द्वारा जीते जी समाज के लिए किए कामों के प्रति वह गहरा सम्मान रखते हैं।

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एनआईए की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा, खुली अदालत में एक जज या किसी कानून के अधिकारी द्वारा की गई व्यक्तिगत टिप्पणी को प्रेस व सोशल मीडिया में तोड़मरोड़ कर दिखाया जा सकता है। इस पर जस्टिस शिंदे ने कहा, अदालत ने एनआईए या कानूनी पक्ष को लेकर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की है।

अगर एनआईए चाहता है तो वे अपने शब्द वापस लेते हैं। साथ ही कहा, अदालत के बाहर क्या होता है, इस पर उनका नियंत्रण नहीं है। एनआईए ने कहा, उसे एजेंसी की छवि की चिंता है, अदालत से कोई शिकायत नहीं।

गौरतलब है कि माओवादियों से संबंध के आरोप में स्टेन स्वामी जेल में डाल दिए गए थे। मुकदमे के दौरान उन्हें कोविड हुआ। हालत गंभीर होने पर इलाज करवाने के लिए हाईकोर्ट को ही हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्हें होली फैमिली अस्पताल में भर्ती करवाया गया, लेकिन 5 जुलाई को उनका देहांत हो गया। 

अभिभावक की तरह जांच की निगरानी करे अदालत
स्वामी के वकील मिहिर देसाई ने मजिस्ट्रेट जांच पर निवेदन किया, जो व्यक्ति खुद निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है, हाईकोर्ट उसके अभिभावक के तौर पर यह काम करे। यह विशेष मामला है, अपीलकर्ता अपील करते हुए मर गया, सुनवाई चलती रही। 

अभी जांच नहीं हुई शुरू
महाराष्ट्र सरकार की वकील अरुणा पाई ने बताया, अभी तक केवल स्टेन स्वामी का पोस्टमार्टम हुआ है। उनकी मौत की मजिस्ट्रेट जांच शुरू नहीं हुई है। 

बता दें कि पांच दिन पहले पुणे के एल्गार परिषद्-माओवादी संबंध मामले के आरोपी दिवंगत स्टेन स्वामी की याचिका पर सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि वह शानदार व्यक्ति थे और अदालत को उनके काम के प्रति ‘बहुत सम्मान’ है।

न्यायमूर्ति एस. एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन. जे. जामदार की पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब अदालत को सूचित किया गया कि 84 वर्षीय स्वामी का मुंबई के एके होली फैमिली अस्पताल में हृदय गति रूकने से निधन हो गया। इसी पीठ ने पांच जुलाई को स्वामी की चिकित्सा जमानत याचिका पर सुनवाई की थी।

एनआईए व अदालत की आलोचना का भी किया था जिक्र
पीठ ने स्टेन स्वामी के निधन के बाद राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और अदालत की हुई आलोचनाओं का भी जिक्र किया था। इसने दुख जताया था कि किस तरह कई मामलों में जेल में बंद विचाराधीन कैदी सुनवाई शुरू होने का इंतजार करते हैं। बहरहाल, पीठ ने कहा कि उसने स्वामी की चिकित्सा जमानत याचिका पर निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित की थी। साथ ही एल्गार-माओवादी संबंध पर उनके सह-आरोपियों की याचिकाओं पर भी निष्पक्ष सुनवाई हुई थी।

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