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खर्राटे और टीवी देखने के बीच कनेक्शन:एक दिन में 4 घंटे से अधिक टीवी देखते हैं तो खर्राटे आने का खतरा 78 फीसदी तक बढ़ता है, हार्वर्ड के वैज्ञानिकों की रिसर्च

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  • Watching Too Much TV Increases Your Risk Of SNORING By 78 Per Cent Says Harvard Study Finds

16 मिनट पहले

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दिनभर में 4 घंटे से अधिक टीवी देखने की आदत है तो अलर्ट हो जाएं। ऐसे लोगों में खर्राटे आने का खतरा 78 फीसदी तक बढ़ जाता है। यह दावा हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने अपनी हालिया रिसर्च में किया गया है।

शोधकर्ताओं ने 10 से 18 साल के ऐसे 1,38,000 बच्चों पर रिसर्च की। उनकी सेहत कैसी है और वो कितना चलते-फिरते हैं, इस पर भी नजर रखी गई। रिसर्च में सामने आया कि एक ही जगह पर बैठे रहने की आदत से ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया हो सकता है। इस वजह से खर्राटे शुरू होने का खतरा 78 फीसदी तक बढ़ जाता है।

शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि ऐसे लोग जो ऑफिस में दिनभर बैठे रहते हैं, उन्हें भी इसकी भरपाई अधिक एक्सरसाइज करके करनी चाहिए।

क्यों खतरनाक है स्लीप एप्निया

  • स्लीप एप्निया ऐसी स्थिति है, जब कोई भी एक सांस नली रात में पूरी तरह से ब्लॉक हो जाती है। ऐसा होने पर सामान्य तरीके से सांस लेना मुश्किल हो जाता है। यही स्थिति खर्राटों में बदल जाती है।
  • अगर समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, ग्लूकोमा, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ता है।
  • विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में 30 से 69 साल की उम्र में 100 करोड़ लोग में स्लीप एप्निया से जूझते हैं। इसका जल्द से जल्द इलाज कराना जरूरी है।

हफ्ते में 150 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूरी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है, एक इंसान को हर हफ्ते 150 मिनट की फिजिकल एक्टिवटी जरूर करनी चाहिए। शोधकर्ताओं ने सलाह दी है कि लोगों को WHO की यह सलाह मानने के साथ टीवी देखने का समय 4 घंटे से कम कर देना चाहिए। इससे खर्राटों का खतरा घटेगा।

टीवी देखते समय लोग शुगर ड्रिंक्स और स्नैक खाना पसंद करते हैं, बैठे-बैठे ऐसा खानपान लेना वजन को बढ़ाने का काम करता है। वजन बढ़ने पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया का खतरा भी बढ़ता है।

8,733 बच्चों में स्लीप एप्निया की पुष्टि हुई
जिन 1,38,000 बच्चों पर रिसर्च की गई थी उनमें से एक भी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया का मरीज नहीं था। रिसर्च के दौरान सामने आया कि जिन बच्चों ने टीवी के सामने रोजाना घंटों बिताए उनमें से 8,733 बच्चों में स्लीप एप्निया की पुष्टि हुई।

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