4 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – गुरु नानक भ्रमण करते रहते थे। एक बार गुरु नानक और उनके साथ दो शिष्य मरदाना और बाला भ्रमण करते हुए कामरूप नामक स्थान पर पहुंचे। ये छोटा सा देश था। वहां के लोग काला जादू करने में बड़े माहिर थे।
दोनों शिष्यों ने गुरु नानक से कहा, ‘हमें यहां सावधान रहना चाहिए।’
नानक ने मुस्कान के साथ कहा, ‘सबसे बड़ा जादूगर तो ऊपर बैठा है, उसी की ताकत होती है, वही जादू बन जाती है।’ इसके बाद नानक जी बोले, ‘चलो भोजन का कुछ इंतजाम करें।’
नानक जी और बाला जंगल में बैठ गए, मरदाना भोजन-पानी की व्यवस्था के लिए नगर की ओर चल दिया। एक नदी किनारे वह रुका। कामरूप देश की रानी की दो सहायिकाएं वहां आईं, उन्होंने मरदाना से कुछ पूछा और कहा, ‘जब तुम उत्तर देते हो तो तुम्हारे मुंह से भेड़ जैसी आवाज आती है तो क्यों न तुम्हें भेड़ बना दें।’
दोनों सहायिकाओं ने मरदाना को जादू से भेड़ बना दिया। जब बहुत देर तक मरदाना गुरु नानक के पास वापस नहीं पहुंचा तो वे स्वयं बाला के साथ नगर की ओर चल दिए।
नदी किनारे पहुंचे तो नानक जी ने देखा कि दो लड़कियां खड़ी हैं और एक भेड़ के रूप में मरदाना बोल रहा है। गुरु नानक देव समझ गए। उन लड़कियों ने उसी जादू का उपयोग नानक जी और बाला पर भी किया, लेकिन नानक जी मुस्कुराए तो उनमें से एक लड़की खुद भेड़ बन गई और दूसरी जड़ हो गई, उसका हाथ जितना ऊंचा हुआ, उतना ही रुक गया, वह पत्थर की तरह हो गई।
ये घटना वहां की रानी को मालूम हुई तो वह भी वहां पहुंच गई। जादू करने का प्रयास उसने भी किया, लेकिन वह जानकार थी तो समझ गई कि सामने जो व्यक्ति है, वह कोई महान आत्मा है। जादू का असर इस व्यक्ति पर नहीं होगा। रानी ने नानक जी को प्रणाम किया और क्षमा मांगी।
नानक जी ने उसे क्षमा कर दिया, क्योंकि वे संत थे। उन्होंने रानी से कहा, ‘एक बात याद रखना, जादू परमात्मा की शक्ति का दुरुपयोग करना है। ईश्वर हर व्यक्ति के भीतर समान रूप से बसता है। आप उसका सदुपयोग करते हैं या दुरुपयोग, ये आप पर ही निर्भर करता है। मैंने परमात्मा की शक्ति का सदुपयोग किया, हमारी रक्षा हो गई। आप दुरुपयोग करते हैं, किसी दिन आपका नुकसान होगा। परमात्मा के द्वारा दी गई शक्ति का दुरुपयोग न करें।
सीख – हर इंसान को ईश्वर ने कुछ गुण दिए हैं, हमें उन गुणों का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए।