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- People Who Start Losing Their Teeth Are More Likely To Develop DEMENTIA Says New York University
3 घंटे पहले
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- न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में किया दावा
इंसान के दांतों का कनेक्शन याद्दाश्त से जुड़ा है। अमेरिकी शोधकर्ताओं की नई रिसर्च में यह दावा किया गया है कि जिस इंसान के दांत जल्दी गिरने शुरू हो जाते हैं, उनमें डिमेंशिया होने का खतरा भी बढ़ता है। डिमेंशिया यानी ऐसी बीमारी जिसमें इंसान की याद्दाश्त कम होने लगती है।
रिसर्च करने वाले न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है, दांतों के गिरने से इंसान की याद्दाश्त और सोचने-समझने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। एक-एक दांत गिरने से खतरा बढ़ता है।
अब इसकी भी जान लीजिए
शोधकर्ता कहते हैं, दांत और याद्दाश्त के बीच इस कनेक्शन की सटीक वजह अब तक सामने नहीं आ पाई है, लेकिन इनके बीच एक सम्बंध जरूर है। जैसे- दांत टूटने के बाद इंसान को खाना चबाने में दिक्कत होती है। खाना ठीक से न चबा पाने के कारण शरीर में पोषक तत्वों की कमी ऐसा हो सकता है। या फिर मसूढ़ों की बीमारी और गिरती याद्दाश्त के बीच कोई और सम्बंध हो सकता है। इसलिए ओरल हेल्थ का ध्यान रखने की जरूरत है।
30 हजार से अधिक लोग रिसर्च का हिस्सा
रिसर्च के दौरान 30,076 लोगों पर हुए 14 अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। इसमें 4,689 ऐसे लोग भी शामिल किए गए जिनकी सोचने-समझने की क्षमता काफी हद तक खत्म हो गई थी। परिणाम के तौर पर सामने आया कि जिन वयस्कों के दांत अधिक टूटे उनमें अल्जाइमर्स का खतरा 1.48 गुना बढ़ा था। वहीं, डिमेंशिया होने की आशंका 1.28 गुना ज्यादा थी।
हर 6 में से एक इंसान डिमेंशिया से पीड़ित
शोधकर्ता डॉ. बे वू का कहना है, हर साल काफी संख्या में अल्जाइमर्स और डिमेंशिया के मामले सामने आते हैं। ऐसे में जीवनभर ओरल हेल्थ का ध्यान रखना जरूरी है। डिमेंशिया की स्थिति में दिमाग के काम करने की क्षमता घटने लगती है और कोशिकाएं डैमेज होने लगती हैं। 65 साल की उम्र में हर 14 में से एक इंसान और 80 साल की उम्र में हर 6 में से एक इंसान डिमेंशिया से जूझता है।
वहीं, अल्जाइमर्स के मामले में इंसान की सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगती है। स्थिति गंभीर होने पर इंसान छोटी-छोटी रोजमर्रा की चीजें करने में असमर्थ हो जाता है। इस बीमारी से मरीज के बिहेवियर और सम्बंधों पर भी असर पड़ता है।
ओरल हेल्थ बिगड़ने से इन रोगों का खतरा भी बढ़ता है
- हडि्डयों के रोग: द एकेडमी ऑफ जनरल डेंटिस्ट्री का दावा है कि मसूड़ों में सूजन, ब्लीडिंग और कमजोर मसूड़ों से हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, स्किन पर बुरा असर पड़ता है। नतीजा, अधिक उम्रदराज दिखता है।
- दिल को खतरा: मसूड़ों की समस्या से पीड़ित लोगों में हृदय की धमनियों से जुड़ी समस्याओं का खतरा लगभग 2 गुना होता है। दिल की कार्य प्रणाली भी अनियमित होने का खतरा अधिक रहता है।
- अल्जाइमर: नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश रिसर्च कहती है, जबड़ों से जुड़ी क्रेनियल नर्व या ब्लड सर्कुलेशन के जरिए से ओरल बैक्टीरिया मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं, जिससे अल्जाइमर्स का खतरा बढ़ता है।
- कैंसर: जर्नल ऑफ नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में पब्लिश रिसर्च में पाया गया कि मसूड़ों से संबंधित बीमारी से पीड़ित पुरुषों में पैन्क्रियाटिक कैंसर होने की आशंका 33 प्रतिशत अधिक होती है।