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- Aaj Ka Jeevan Mantra By Pandit Vijayshankar Mehta, Motivational Story Of Gautam Buddha, If You Delay Taking Decisions Again And Again, Then Good Opportunities Will Be Lost
13 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – राजा शुद्धोदन के बेटे का नाम सिद्धार्थ था। यही सिद्धार्थ जो आगे जाकर बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए। राजा को किसी ने कहा था कि तुम्हारा बेटा या तो बहुत बड़ा राजा बनेगा, या बहुत बड़ा साधु बनेगा।
राजा शुद्धोदन को चिंता होने लगी कि कहीं मेरा बेटा साधु न बन जाए। राजा ने सिद्धार्थ को ऐसी हर बात से दूर रखा जो जीवन के प्रति सवाल खड़े करती है। बच्चे का लालन-पालन भी बहुत ही निराले ढंग से किया।
एक दिन सिद्धार्थ अपने रथ पर बैठकर नगर में जा रहे थे। रास्ते में उन्हें एक बूढ़ा दिखाई दिया। बूढ़े की आंखें अंदर की ओर धंस गई थीं, चेहरे पर झुर्रियां थीं। वह लाठी पकड़कर चल रहा था। सिद्धार्थ ने सारथी से पूछा, ‘ये कौन है?’
सारथी बोला, ‘ये बूढ़ा आदमी है।’
सिद्धार्थ ने पूछा, ‘क्या मैं भी एक दिन ऐसा ही बूढ़ा हो जाऊंगा?’
सारथी ने कहा, ‘हां, एक दिन सभी को बूढ़ा होना है।’
कुछ दिनों के बाद सिद्धार्थ ने एक शव यात्रा देखी। सिद्धार्थ ने सारथी से पूछा, ‘ये लेटा हुआ आदमी और ये चार लोग कौन हैं, जो इसको ले जा रहे हैं।’
सारथी बोला, ‘ये मर गया है। इसलिए इसे ले जा रहे हैं।’
सिद्धार्थ ने कहा, ‘तो क्या एक दिन मैं भी मर जाऊंगा?’
सारथी ने कहा, ‘हां, एक दिन सभी को मरना है।’
बस उसी समय सिद्धार्थ के मन में आया कि मुझे जीवन को जानना पड़ेगा और वे राज-पाठ छोड़कर बुधत्व की प्राप्ति के लिए चल पड़े। बुधत्व का ज्ञान होने के बाद बुद्ध कहा करते थे कि जीवन में कुछ निर्णय अचानक हमारे सामने आकर खड़े हो जाते हैं। हमें अपने विवेक से तय करना होता है कि इस निर्णय को लेकर अब आगे जीवन की गतिविधि, शैली क्या रखना है, इस संबंध में बहुत अधिक सोचेंगे तो निर्णय टलने लगेंगे। हमने ऐसे ही किया था।
सीख – हर बार निर्णय को टालने की आदत अच्छी नहीं है। कुछ स्थितियां इतनी फलदायी होती हैं कि हमें तुरंत उन स्थितियों को देखकर निर्णय ले लेना चाहिए कि अब जीवन में हम ये गतिविधि अपनाएंगे। अगर निर्णय लेने में देरी करेंगे तो अच्छे अवसर हाथ से निकल जाएंगे।