9 घंटे पहलेलेखक: पं. विजयशंकर मेहता
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कहानी – श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जब वनवास में थे तो कुटिया बनाकर रहते थे। सीता जी का नियम था कि वे सुबह फूल चुनतीं और इसके बाद श्रीराम का श्रृंगार करतीं, क्योंकि श्रीराम उनके लिए सिर्फ पति ही नहीं, परमात्मा का रूप भी थे।
एक दिन सीता जी देखकर हैरान हो गईं कि जो काम वो करती थीं, श्रीराम कर रहे थे। श्रीराम ने फूल चुने और फूलों के आभूषण बनाकर सीता जी को पहना दिए।
संकोच में आकर सीता जी ने पूछा, ‘आज आप ये उल्टा काम क्यों कर रहे हैं? मेरा काम आप कर रहे हैं।’
श्रीराम बोले, ‘सीता, तुम्हारा महत्व उतना ही है, जितना मेरा है। पति-पत्नी अपने काम का विभाजन अपने जीवन की आवश्यकताओं के अनुसार करते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि जो काम तुम करो, वो मैं पुरुष या पति होकर न करूं।’
सीता को समझ आया कि राम दांपत्य जीवन के प्रति कितनी गहरी दृष्टि रखते हैं।
सीख – घर में ऐसी सोच सही नहीं है कि ये काम सिर्फ महिलाएं ही करेंगी या ये काम सिर्फ पुरुष ही करेंगे। कभी-कभी भूमिकाएं बदलने से वैवाहिक जीवन में ताजगी आ जाती है। जो काम घर में महिलाएं करती हैं, वो काम कभी-कभी पुरुष करेंगे तो पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहेगा।