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12 साल की उम्र में रचा इतिहास:भारतवंशी अभिमन्यु बने दुनिया के सबसे युवा ग्रैंड मास्टर, पिता बोले- विरोधियों को अपने चक्रव्यूह में फंसाना बखूबी जानता है

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बुडापेस्ट7 घंटे पहले

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भारतीय मूल के अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी अभिमन्यु मिश्रा। - Dainik Bhaskar

भारतीय मूल के अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी अभिमन्यु मिश्रा।

  • हंगरी में हुए ग्रैंड मास्टर टूर्नामेंट में गोवा के लियॉन को हराकर रचा इतिहास
  • 12 साल, 4 महीने और 25 दिन की उम्र में ग्रैंड मास्टर बनने का रिकॉर्ड

भारतीय मूल के अमेरिकी शतरंज खिलाड़ी अभिमन्यु मिश्रा ने महज 12 साल की उम्र में इतिहास रच दिया। न्यू जर्सी में रहने वाले अभिमन्यु बुधवार काे 12 साल, 4 महीने और 25 दिन की उम्र में दुनिया के सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बन गए हैं। उन्हाेंने बुडापेस्ट में आयोजित ग्रैंडमास्टर टूर्नामेंट में भारतीय ग्रैंडमास्टर, गाेवा के 14 साल के लियॉन मेनडोन्का को हराकर ये उपलब्धि हासिल की है। अभिमन्यु ने 19 साल पुराना यूक्रेन के सर्गे कर्जाकिन का रिकॉर्ड तोड़ दिया जिन्होंने 12 साल 7 माह की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की थी। अभिमन्यु के पिता डेटा एनालिस्ट हेमंत मिश्रा बता रहे हैं बेटे के ग्रैंड मास्टर बनने की कहानी…

उपलब्धि: विश्व विजेता गैरी कास्पोरोव अभिमन्यु का खेल देखकर उसके मेंटर बनने तैयार हो गए

अभिमन्यु ढाई साल का था और ठीक से बोल भी नहीं पाता था, तब मैं उसे किस्से-कहानियों के जरिए शतरंज के मोहरों के बारे में बताया करता था। वह बड़े ध्यान से हर मोहरे और उसकी चाल को देखता। मैं समझ गया कि उसे यह खेल पसंद है। फिर मैं जब भी उसे लेकर बैठता वह शतरंज के बोर्ड को मेरे पास लेकर आ जाता। वह पांच साल का हुआ तब उसने मुझे पहली बार हरा दिया।

मैंने उसे दोबारा चैलेंज दिया तो उसने फिर मात दे दी। मैं समझ गया कि चेस का यह जुनून उसे एक दिन कामयाबी के शिखर तक पहुंचाकर ही रहेगा। मैंने कहा टूर्नामेंट में खेलोगे, तो उसने कहा, हां, जीतूंगा भी। न्यू जर्सी में एक टूर्नामेंट के दौरान उसने अपनी उम्र से 5 गुना बड़े लोगों को न सिर्फ चुनौती पेश की बल्कि हराया भी। एक प्रतिद्वंद्वी ने तो अभिमन्यु को बच्चा समझ अपनी चाल एक घंटे तक नहीं चली ताकि थक-हारकर वह कॉम्पीटिशन छोड़ दे और वह विजेता घोषित हो जाए। इसके बाद अभिमन्यु ने कभी भी, किसी भी टूर्नामेंट में पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उसकी खासियत यह है कि वह अपनी रणनीति खुद बनाता है और विरोधियों को अपने चक्रव्यूह में फंसाकर गलतियां करने पर मजबूर कर देता है। मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन वह था, जब विश्व विजेता गैरी कास्पोरोव ने अपने फाउंडेशन के लिए 9 साल की उम्र में अभि का खेल देखकर उसका मेंटर बनना स्वीकार किया। 2018 में जब कास्पोरोव ने उसके खेल का विश्लेषण किया तो मुझे खासतौर पर हॉल में बुलाया गया था। ये शुरुआत है… उसकी कई चालें बाकी हैं।’

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