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नई दिल्ली2 घंटे पहले
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अयाज मेमन
BCCI के सबसे महत्वपूर्ण अधिकारियों में शामिल अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने IPL की असफलता से यह कहते हुए किनारा कर लिया कि उन्हें कोरोना की दूसरी लहर की तीव्रता का पता ही नहीं था। वे वायरस विज्ञान और महामारी के विशेषज्ञ नहीं है। लेकिन कोरोना की गंभीरता की चर्चा एक्सपर्ट जनवरी से कर रहे थे।
इस बात का भी रहस्योद्घाटन हो चुका है कि गवर्निंग काउंसिल के कुछ लोगों ने भी IPL के देश में आयोजन का विरोध किया था। उन्होंने सुझाव दिया था कि टूर्नामेंट को एक बार फिर यूएई शिफ्ट कर दिया जाए।
भारत में कोरोना के खतरे की अनदेखी करना बीसीसीआई की मूर्खता थी। बोर्ड ने सामान्य सी समस्या को जटिल बना दिया। इसलिए पिछले हफ्ते बायो-बबल के उल्लंघन की वजह से टूर्नामेंट को अनिश्चित समय के लिए स्थगित कर दिया गया। अब बाकी सीजन के लिए क्या होता है, इसकी कई संभावनाएं हैं।
बीसीसीआई टूर्नामेंट को पूरा करने के लिए 15-20 दिन की विंडो तलाश रहा है, जो व्यस्त इंटरनेशनल कैलेंडर में आसान नहीं होगा। बड़ा चैलेंज बीसीसीआई के सामने यह है कि वह कोविड के दौर में इतना बड़ा टूर्नामेंट कराने में सक्षम है या नहीं।
ऐसी भी चर्चा है कि भारत में अगस्त-सितंबर में कोविड की तीसरी लहर आ सकती है। हर कोई प्रार्थना कर रहा है कि ऐसा न हो। लेकिन चांस नहीं ले सकते। बीसीसीआई को तैयारी आनन-फानन में नहीं करनी चाहिए, जैसी उसने इस सीजन में की थी। उसे सभी हालातों को ध्यान में रखते हुए तैयार होना चाहिए। आईपीएल के स्थगित होने से बीसीसीआई को जो आर्थिक नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई उसके लिए कठिन नहीं होगी। उसकी विश्वसनीयता में भी कोई खास कमी नहीं आई है।
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