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दुनिया का पहला मामला: रूस में इंसानों तक पहुंचा वर्ड फ्लू वायरस का खतरनाक स्ट्रेन H5N8, मुर्गी फार्म के 7 कर्मचारी संक्रमित

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13 घंटे पहले

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रूस में बर्ड फ्लू वायरस (H5N8) मुर्गियों में इंसान में फैलने का मामला सामने आया है। यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। इसकी जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दी गई है। रूस की स्वास्थ्य अधिकारी एना पोपोवा के मुताबिक, दिसम्बर 2020 में यहां के दक्षिणी हिस्से में बर्ड फ्लू का कहर देखा गया था।

यहां के एक पॉल्ट्री प्लांट में 7 कर्मचारी बर्ड फ्लू वायरस से संक्रमित हुए थे। अभी उनकी हालत में काफी सुधार है और लक्षण हल्के नजर आ रहे हैं।

सम्पर्क में आने वाले लोगों की ट्रेसिंग जारीएना कहती है, 7 कर्मचारियों से दूसरों में संक्रमण फैलने का कोई नया मामला सामने नहीं आया है। रूस की स्वास्थ्य एजेंसी ने इन सभी संक्रमितों को आइसोलेशन में रखा है और संपर्क में आने वाले लोगों को ट्रेस कर रही है।

क्या है बर्ड फ्लू वायरस?इसे एवियन इनफ्लुएंजा वायरस भी कहते हैं। बर्ड फ्लू के सबसे कॉमन वायरस का नाम H5N1 है। यह एक खतरनाक वायरस है जो चिड़ियों के साथ इंसान और दूसरे जानवरों को भी संक्रमित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, H5N1 को 1997 में खोजा गया था। इस वायरस से संक्रमित होने पर 60% मामलों में मौत हो जाती है।

इंसान में यह वायरस कैसे फैलता है और पहला मामला कब आया?बर्ड फ्लू के कई वायरस हैं, लेकिन H5N1 पहला वायरस है जिसने इंसान को संक्रमित किया। संक्रमण का पहला मामला हॉन्ग-कॉन्ग में 1997 में सामने आया था। यह वायरस संक्रमित मुर्गियों के जरिए इंसान तक फैला था। 2003 से यह वायरस चीन समेत एशिया, यूरोप और अफ्रीका में फैलना शुरू हुआ। 2013 में इंसान के संक्रमित होने का मामला चीन में भी सामने आया।

WHO के मुताबिक, आमतौर पर यह वायरस इंसान को संक्रमित नहीं करता लेकिन कुछ देशों में ऐसे मामले सामने आए हैं जिनसे संक्रमण इंसानों में फैला है। इसका वायरस आमतौर पर पानी में रहने वाली बत्तखों में पाया जाता है, लेकिन मुर्गियों के फार्म में यह तेजी से फैलता है। संक्रमित मुर्गियों या इसके मल-मूत्र के सम्पर्क में आने से यह वायरस इंसानों में फैलता है।

बर्ड फ्लू का संक्रमण किन्हें हो सकता है?संक्रमण होने पर यह वायरस शरीर में लम्बे समय तक रहता है। पक्षियों में संक्रमण होने पर वायरस उसमें 10 दिन तक रहता है। यह मल और लार के रूप से बाहर निकलता रहता है। इसे छूने या सम्पर्क में आने पर संक्रमण हो सकता है।

वायरस का पता कैसे लगाते हैं?

सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने संक्रमित इंसान में वायरस का पता लगाने के लिए इनफ्लुएंजा A/H5 वायरस रियल टाइम RT-PCR टेस्ट तैयार किया है। रिपोर्ट आने में 4 घंटे लगते हैं। हालांकि यह जांच दुनियाभर में उपलब्ध नहीं है।आमतौर पर डॉक्टर वायरस की जांच के लिए मरीज के व्हाइट ब्लड सेल्स और नाक से नमूना लेकर जांच करते हैं। इसके अलावा चेस्ट एक्स-रे करते हैं और सांस लेने पर निकलने वाली आवाज भी जांचते हैं।बर्ड फ्लू के अलग-अलग वायरस के लक्षण भी अलग हो सकते हैं। लक्षणों के मुताबिक, इलाज बदलता है। आमतौर पर एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जाता है।

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