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- Two Tagged Amur Falcons, World’s Longest Travelling Bird Return To Manipur After Flying 29,000 Km For Over A Year
16 घंटे पहले
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चिड़िया की पीठ पर लगा रेडियो टैग इनके सफर से जुड़ी कई जानकारियां देता है और संरक्षित करने में मदद करता है।
- नवम्बर 2019 में मणिपुर से पांच चिड़ियों को छोड़ा गया था
- इनमें से सिर्फ 2 लौटीं और 3 चिड़ियों की मौत हो गई
एक साल में 33 हजार किलोमीटर का चक्कर लगाकर एक चिड़िया मणिपुर वापस लौटी है। इस चिड़िया का नाम चियूलान है। नवम्बर 2019 में ऐसी पांच चिड़ियों को मणिपुर के तमेंगलोंग जिले से छोड़ा गया था। इनमें से तीन की मौत हो गई।
लोकेशन की मॉनिटरिंग करने के लिए इनमें रेडियो-टैग लगाया गया था। चियूलान के अलावा एक और चिड़िया इरांग भी हाल ही में वापस लौटी। इरांग ने 29 हजार किलोमीटर की दूरी पूरी की है। पिछले साल इनके उड़ान भरने से पहले मणिपुर के वन विभाग ने भारतीय वन्यजीव संस्थान के साथ मिलकर पांच चिड़ियों में रेडियो टैग लगाया था।
2 महीने भारत में रहती है
कबूतर के आकार की आमूर फॉल्कंस एक प्रवासी पक्षी है। यह साइबेरिया की रहने वाली है। यह चिड़िया सर्दियों से पहले भारत के लिए उड़ान भरती है और उत्तर-पूर्व भारत में ये करीब दो महीने तक रहती है। इसके बाद ये दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान भरती है। वहां, ये करीब 4 महीने रहती है।
क्यों शुरू हुई महिम और कैसे काम करता है रेडियो टैग
प्रवासी पक्षियों की घटती संख्या को रोकने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने यह मुहिम शुरू की थी। इसमें आमूर फॉल्कंस को खासतौर पर शामिल किया गया है। पक्षियों में लगा रेडियो टैग यह बताता है कि किस रास्ते से उसने सफर तय किया। वह कहां पर रुकी। ये सभी बातें पक्षियों को संरक्षित करने में मदद करती हैं।
ये चिड़िया क्यों होती है माइग्रेट
तमेंगलोंग के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर केएच हिटलर के मुताबिक, हमें इस बात की खुशी है कि दो चिड़ियें, चियूलॉन और इरांग, 361 दिन बाद पूरा एक चक्कर लगाकर लौट आई हैं। चियूलॉन 26 अक्टूबर को लौटी थी और इयांग 28 अक्टूबर को वापस आई।
हिटलर कहते हैं, इनके वापस लौटने पर हमें कई नई जानकारियां मिल रही हैं। जैसे, इन्हें सर्दियों से दिक्कत है, इसलिए ये सर्दियों से पहले साइबेरिया से उड़कर भारत आती हैं।
खाने के लिए इनका शिकार हुआ और संख्या घटती गई
हिटलर कहते हैं, इरांग जब तमेंगलोंग से 200 किलोमीटर दूर चंदेल में लौटी थीं तो हमारा उससे कनेक्शन टूट गया था लेकिन बाद में यह तमेंगलोंग के पूचिंग में पहुंची। इन्हें नवम्बर 2019 को छोड़ा गया था।
आमूर फॉल्कंस का शिकार खाने के लिए किया जाता था लेकिन अब इन्हें संरक्षित किया जा रहा है। मणिपुर और नगालैंड में इसका खासा ध्रयान रखा जा रहा है।
A milestone has been achieved in the conservation efforts of birds, as an #Amur named Irang, tagged in #Manipur has returned back to the state after completing its migratory route full circle & covering 29,000 km.Another Amur named Chiulan has also arrived in the state yesterday. pic.twitter.com/5ISkzd2LPw
— MoEF&CC (@moefcc) October 27, 2020