April 25, 2024 : 11:22 AM
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ततैया के जहर से पावरफुल एंटीबायोटिक दवा तैयार की, यह टीबी के ऐसे बैक्टीरिया को खत्म करेगी जिस पर दूसरी दवाएं असर नहीं कर रहीं

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12 घंटे पहले

  • अमेरिका की पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी ने डेवलप की एंटीबायोटिक
  • इससे टीबी और सेप्सिस की बैक्टीरिया का इलाज किया जा सकेगा

ततैया (वास्प) के जहर से एंटीबायोटिक तैयार की गई है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इसके जहर से ऐसे एंटीमाइक्रोबियल मॉलिक्यूल्स डेवलप किए हैं जो उन बैक्टीरिया को खत्म करेंगे जिन पर दवाओं का असर नहीं हो रहा। मॉलिक्यूल तैयार करने वाली अमेरिका की पेन्सिलवेनिया यूनिवर्सिटी का कहना है इससे तैयार होने वाली दवा से टीबी और सेप्सिस के खतरनाक बैक्टीरिया का इलाज किया जाएगा।

बैक्टीरिया पर बेअसर हो रही दवा का विकल्प

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस जर्नल में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने एशियन, कोरियन और वेस्पुला ततैया के जहर से प्रोटीन का छोटा से हिस्सा निकालकर उसमें बदलाव किया। बदलाव के कारण दवा के मॉलिक्यूल्स में उन बैक्टीरिया को खत्म करने की क्षमता बढ़ी है जिन पर दवाएं बेअसर साबित हो रही हैं।

चूहे पर हुई रिसर्च

चूहे पर हुई रिसर्च में सामने आया कि जिन बैक्टीरिया पर दवा का असर नहीं हो रहा है उन पर इसका असर हुआ। वैज्ञानिकों का कहना है, वर्तमान में ऐसी नई एंटीबायोटिक्स की जरूरत है जो ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया को खत्म कर सकें क्योंकि ऐसे संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। हमें लगता है जहर से निकले मॉलिक्यूल्स नई तरह की एंटीबायोटिक का काम करेंगे।

ऐसे तैयार हुई दवा
रिसर्च के मुताबिक, ततैया के जहर से मास्टोपरन-एल पेप्टाइड को अलग किया गया है। यह इंसानों के लिए काफी जहरीला होता है और ब्लड प्रेशर का लेवल बढ़ाता है जो हालात नाजुक करता है। इसके इस असर को कम करके इसमें इतना बदलाव किया गया कि यह बैक्टीरिया के लिए जहर का काम करे। इंसानों के लिए यह कितना सुरक्षित है, इस पर क्लीनिकल ट्रायल होना बाकी है।

इन बैक्टीरिया पर हुआ प्रयोग
वैज्ञानिकों ने ड्रग का ट्रायल चूहे में मौजूद ई-कोली और स्टेफायलोकोकस ऑरेयस बैक्टीरिया पर किया। नए ड्रग की टेस्टिंग के दौरान 80 फीसदी चूहे जिंदा रहे। लेकिन जिन चूहों को इस ड्रग की मात्रा अधिक दी गई उनमें साइडइफेक्ट दिखे। रिसर्च में दावा किया गया है कि यह ड्रग जेंटामायसिन और इमिपेनेम का विकल्प साबित हो सकता है क्योंकि ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया के मामले बढ़ रहे हैं।

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