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फंड ट्रांसफर के लिए फेक अकाउंट और धोखेबाज कर्जदारों का इस्तेमाल हुआ, ऑडिटर की रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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डीएचएफएल इस समय दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है।

  • प्रमोटर्स ने फर्जी शाखा के जरिए बांटा हजारों करोड़ रुपए का लोन
  • बंद हो चुके बैंक खातों के जरिए होता था लोन लेने वालों का चयन
  • फर्जी ब्रांच से 12 साल में 2.60 लाख फेक लोन अकाउंट बनाए गए

दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) में घोटाले को अंजाम देने के लिए फेक अकाउंट और धोखेबाज कर्जदारों का इस्तेमाल किया गया था। ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की फाइनल फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। ग्रांट थॉर्नटन ने अपनी यह रिपोर्ट भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से नियुक्त किए एडमिनिस्ट्रेटर को सौंप दी है।

रिपोर्ट के प्रमुख अंश

रिपोर्ट के प्रमुख अंशों में काल्पनिक लोन खातों, 14,046 करोड़ रुपए की रिकवरी और काल्पनिक एंटिटी के जरिए बांद्रा में जमा करने की बात कही गई है। ऑडिटर ग्रॉट थॉर्नटन ने यह रिपोर्ट 27 अगस्त को सौंपी है। प्रारंभिक रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को भी इस रिपोर्ट में फॉलो किया गया है। थॉर्नटन ने इस साल फरवरी में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट आरबीआई की ओर से नियुक्त एडमिनिस्ट्रेटर आर. सुब्रमण्यकुमार को सौंपी थी।

फंड की राउंड ट्रिपिंग के जरिए दिया घोटाले को अंजाम

रिपोर्ट में कहा गया है कि फेक लोन के जरिए फंड की राउंड ट्रिपिंग करके इस घोटाले को अंजाम दिया गया है। यह फाइनल फॉरेंसिक रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब डीएचएफएल के प्रमोटर कपिल वधावन और उनके भाई धीरज वधावन जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। जांच एजेंसियों ने जनवरी में वधावन बंधुओं को गिरफ्तार किया था।

बंद लोन खातों में से किया गया कर्जदारों का चयन

ऑडिटर की रिपोर्ट में हाउसिंग लोन के कर्जदारों के चयन की प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, लोन लेने वालों का चयन बंद हो चुके लोन खातों के डाटाबेस में से रेंडमली किया जाता था। यह घोटाला डीएचएफएल की फर्जी बांद्रा ब्रांच के जरिए अंजाम दिया गया है। ऑडिटर ने इसे बांद्रा बुक नाम दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, डीएचएफएल की फर्जी बांद्रा ब्रांच से 2.60 लाख फेक होम लोन अकाउंट तैयार किए गए। यह अकाउंट 2007 से 2019 के बीच तैयार किए गए और बांद्रा बुक फर्म में 11755.79 करोड़ रुपए डिपॉजिट किए गए।

91 एंटिटी ने लोन के लिए कोई गारंटी नहीं दी

ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की फाइनल फॉरेंसिक रिपोर्ट में 91 ऐसी एंटिटी का फोकस किया गया है जिन्होंने लोन के लिए किसी भी प्रकार की गारंटी या सिक्युरिटी नहीं दी। वधावन बंधुओं और कर्जदारों के नेक्सस को तोड़ने के लिए ऑडिटर ने इनमें से 50 एंटिटी के वित्तीय लेन-देन की भी समीक्षा की है। इन एंटिटी को बांद्रा बुक के कुल वितरण का 70 फीसदी पैसा दिया गया है।

वधावन से जुड़ी कंपनियों में निवेश किया पैसा

रिपोर्ट के मुताबिक, 91 में से 34 एंटिटी ने डीएचएफएल से मिले पैसे के अधिकांश हिस्से को वधावन बंधुओं से जुड़ी कंपनियों में निवेश किया है। ऑडिटर का अनुमान है कि यह राशि 1554,51 करोड़ रुपए हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई ऐसी कंपनियों को भी फंड डायवर्ट किया गया है जो प्रमोटर्स से जुड़ी हुई थीं। इसके अलावा कई कर्जदारों ने लोन के लिए कॉमन एड्रेस का इस्तेमाल किया है। बांद्रा बुक से जुड़ी एंटिटीज को कम ब्याज दर पर भी लोन दिया गया। इन सभी कारणों से डीएचएफएल पर दिवालिया संकट पैदा हो गया।

दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है डीएचएफएल

डीएचएफएल इस समय दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है। इस साल की शुरुआत में इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की थी। इसी एडमिनिस्ट्रेटर ने ही डीएचएफएल की जांच के लिए ग्रांट थॉर्नटन का चयन किया था।

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