March 28, 2024 : 5:27 PM
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हिन्दू धर्म एवं सामाजिक जातियां – अभिषेक तिवारी

पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे तो . . .

बच्चे की नाभि कौन काटता था मतलब पिता से भी पहले कौन सी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी ?

आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था ?

शादी के मंडप में पंडित जी के अलावा भी दूसरी दो जातियां होती थी जिनके बगैर विवाह कभी भी संपन्न नहीं होता था  । लड़की का पिता लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।

वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं ।

आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?

भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?

किसने आपके कपडे धोये?

डोली अपने कंधे पर कौन मीलो मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।

किसके हाथो से बनाये मिट्टी की सुराही से जेठ में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी ?

कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?

कौन फसल लाता था?

कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं?

जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।

. . . और कहते है कि छुवाछूत था ??
यह छुआ छूत की बीमारी  विदेशी शक्तियों के द्वारा भारत की सामाजिक रचना को निशक्त करके स्वयं को स्थापित करना हा ही एकमात्र उद्देश्य था।

 

जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई उल्लेख नहीं करता।
अगर जातिवाद होता तो राम कभी शबरी के झूठे बेर ना खाते,
सत्यकाम जाबाल महर्षि जाबाल ना कहलाए जाते,
रत्नाकर महर्षि बाल्मीकी के नाम से ना पूजे जाते

जाति में मत टूटीये, धर्म से जुड़िये . . . देश जोड़िये।

सभी जातियाँ सम्माननीय हैं…
एक हिंदु, एक भारत श्रेष्ठ भारत|

 

अभिषेक तिवारी

साभार

अभिषेक तिवारी

 

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