April 26, 2024 : 4:59 AM
Breaking News
लाइफस्टाइल

गरीब सुदामा मदद लेने की उम्मीद के साथ द्वारिकाधीश श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचा, श्रीकृष्ण ने खूब सत्कार किया, लेकिन खाली हाथ लौटा दिया

  • Hindi News
  • Jeevan mantra
  • Dharm
  • Friendship Day On 2 August, Krishna Sudama Friendship, Motivational Story, Prerak Prasang, Krishna Sudama Story

3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक
  • मित्रता में मित्र को कुछ देते समय दिखावा नहीं करना चाहिए, दोस्ती में अमीरी-गरीबी को महत्व न दें
Advertisement
Advertisement

रविवार, 4 अगस्त को फ्रेंडशिप डे है। हर साल अगस्त माह के पहले रविवार को फ्रेंडशिप डे मनाया जाता है। ग्रंथों में भी श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। श्रीकृष्ण से हम सीख सकते हैं कि मित्रता में धनवान और गरीब का भेद नहीं होना चाहिए। जानिए इनकी मित्रता से जुड़ा प्रेरक प्रसंग…

प्रचलित कथा के अनुसार बालपन में श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा उज्जैन स्थित महर्षि सांदीपनि के आश्रम में एक साथ शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। इसी आश्रम में श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता हुई। एक दिन गुरुमाता ने इन दोनों को लकड़ियां लेकर आने के लिए कहा। गुरुमाता ने सुदामा को दोनों के लिए चने दिए थे और कहा था कि ये तुम दोनों बराबर बांटकर खा लेना।

जंगल में पहुंचकर सुदामा ने वो चने अकेली ही खा लिए। जब सुदामा चने खा रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने सुदामा से पूछा था कि तुम क्या खा रहे हो? तब सुदामा ने झूठ बोला कि ठंड की वजह से मेरे दांत बज रहे हैं। आश्रम में शिक्षा पूरी होने के बाद दोनों मित्र अलग हो गए।

बहुत समय बाद श्रीकृष्ण द्वारिकाधीश हो गए थे और सुदामा गरीब ही थे। गरीबी से दुखी होकर सुदामा की पत्नी ने उन्हें श्रीकृष्ण से मदद मांगने के लिए द्वारिका भेजा। जब सुदामा अपने प्रिय मित्र श्रीकृष्ण से मिलने द्वारिका पहुंचे तो महल के सैनिकों ने उन्हें अंदर नहीं आने दिया। जब श्रीकृष्ण को मालूम हुआ कि सुदामा आए हैं तो वे खुद सुदामा को लेने पहुंच गए। उन्होंने सुदामा का सत्कार किया। एक मित्र को दूसरे मित्र के साथ कैसे रहना चाहिए ये श्रीकृष्ण ने सिखाया है। सुदामा अच्छी तरह आतिथ्य सत्कार किया और सुदामा को विदा करते समय खाली हाथ भेज दिया। सुदामा भी श्रीकृष्ण से कुछ मांग नहीं सके। बाद में सुदामा जब अपने गांव पहुंचे तो उन्होंने देखा कि श्रीकृष्ण ने उनकी सभी परेशानियां खत्म कर दी हैं।

श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की सीख यह है कि दोस्ती में अमीरी-गरीबी को महत्व नहीं देना चाहिए। मित्रता में सभी समान होते हैं और इस बात ध्यान रखना चाहिए। तभी मित्र धर्म का सही तरीके से पालन होता है। मित्रता में किसी को कुछ देते समय उसका दिखावा नहीं करना चाहिए।

Advertisement

0

Related posts

खर्राटे और टीवी देखने के बीच कनेक्शन:एक दिन में 4 घंटे से अधिक टीवी देखते हैं तो खर्राटे आने का खतरा 78 फीसदी तक बढ़ता है, हार्वर्ड के वैज्ञानिकों की रिसर्च

News Blast

30 सेकंड में इंसान की लार से पता चलेगा कोरोनावायरस है या नहीं, हैदराबाद के इंस्टीट्यूट ने विकसित की जांच किट

News Blast

जून में सिर्फ 8 दिन शुभ मुहूर्त, इसके बाद नवंबर में हो सकेंगे विवाह और शुभ काम

News Blast

टिप्पणी दें