April 23, 2024 : 10:47 PM
Breaking News
राष्ट्रीय

किसी ने 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर मार दी गोली तो किसी ने मुख्यमंत्री की हत्या की सुपारी ली थी

  • फूलन की शादी महज 11 साल की उम्र में 40 साल के एक शख्स के साथ कर दी गई, उस आदमी ने फूलन पर अत्याचार किए, बलात्कार किया
  • यूपी और मध्य प्रदेश में ददुआ के खिलाफ करीब 400 मामले दर्ज थे, यूपी पुलिस ने उस पर 10 लाख रुपए का इनाम रखा था

दैनिक भास्कर

Jul 07, 2020, 01:51 PM IST

लखनऊ. हाल ही कानपुर में में गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने 8 पुलिस वालों की हत्या कर दी। इस वारदात से पूरा देश दहल गया है। यूपी पुलिस ने उस पर ढाई लाख रुपए का इनाम रखा है। पुलिस की 100 से अधिक टीमें तीन राज्यों में विकास की तलाश कर रही हैं। लेकिन, अभी तक वह पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका है। आज हम उत्तर प्रदेश के ऐसे ही पांच बड़े अपराधियों की कहानी बताने जा रहे हैं जिनके दहशत से लोग कांपते थे। 

1. फूलन देवी : बदले की आग में 22 ठाकुरों को लाइन में खड़ा कर गोली मार दी

बीहड़ के जंगलों की खूंखार डकैत, जिसके नाम से लोग सिहर जाते थे। जिसे गिरफ्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की पुलिस ने जी जान लगा दी लेकिन वह किसी के हाथ नहीं आ सकी। 1963 में उत्तर प्रदेश के जालोन जिले के एक गांव पुरवा में फूलन देवी का जन्म हुआ। गरीब और छोटी जाति में जन्मी फूलन की शादी महज 11 साल की उम्र में 40 साल के एक शख्स के साथ कर दी गई। उस आदमी ने फूलन पर अत्याचार किए, उसका बलात्कार किया। 

फूलन देवी पर शेखर कपूर ने ‘बैंडिट क्ववीन’ बनाई थी। सीमा बिश्वास ने फूलन का रोल किया था। 1981 में फूलन देवी ने बेहमई गांव के 22 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा कर गोली मार दी। इनमें से 21 की मौत हो गई थी।

इसके बाद फूलन एक डाकुओं के गैंग से जुड़ गई। उस गैंग का सरदार था बाबू गुज्जर और दूसरे नंबर पर था विक्रम मल्लाह। कहते हैं कि एक दिन गुज्जर फूलन देवी के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहा था। फूलन ने शोर मचाया और विक्रम वहां आ पहुंचा। दोनों में लड़ाई हुई और विक्रम ने गुज्जर को गोली मार दी। इसके बाद फूलन विक्रम के साथ रहने लगी। 

गुज्जर की हत्या से ठाकुरों का एक गैंग नाराज था। मौका मिलते ही इस गैंग ने विक्रम मल्लाह की हत्या कर दी और फूलन को किडनैप कर यूपी के बेहमई में 3 हफ्ते तक बलात्कार किया। जैसा कि फूलन देवी पर बनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’में दिखाया गया है। जैसे तैसे फूलन ठाकुरों के चंगुल से आजाद हुई और डकैतों के एक गैंग में शामिल हो गई। फूलन के मन में बदले की आग जल रही थी। 1981 वह बेहमई गांव लौटी और गांव के  22 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा कर गोली मार दी। इनमें से 21 की मौत हो गई थी।

पुलिस फूलन के पीछे पड़ गई, उसके सिर पर इनाम रखा गया। कई जगह छापा मारा गया, एनकाउंटर हुए लेकिन फूलन पुलिस के हाथ नहीं आई। वह हर बार पुलिस को चकमा देकर भाग निकलती थी। इसके बाद यूपी और मध्य प्रदेश की सरकारों ने तया किया कि फूलन को सरेंडर के लिए राजी किया जाए। 

फूलन देवी 1994 में सपा के टिकट पर मिर्जापुर से जीतकर लोकसभा पहुंची। 2001 में फूलन की हत्या कर दी गई।

उस दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे अर्जुन सिंह, उन्होंने यह काम ग्वालियर के पुलिस महानिरीक्षक राजेन्द्र चतुर्वेदी को सौंपा। वे 8 किलोमीटर बाइक और फिर 6 किमी पैदल चलकर चंबल के बीहड़ों में फूलन देवी से मिलने पहुंचे। करीब 12 घंटे तक बातचीत हुई। उसके बाद फूलन देवी ने 1983 मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने सरेंडर कर दिया।

उसपर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 अपहरण के चार्जेज लगे। फूलन को 11 साल जेल में रहना पड़ा। उसके बाद 1994 में सपा के टिकट पर मिर्जापुर से जीतकर वह लोकसभा पहुंची। 1994 में ही शेखर कपूर ने ‘बैंडिट क्वीन’ नाम से फूलन देवी पर फ़िल्म बनाई जो काफी लोकप्रिय रही। 25 जुलाई 2001 को फूलन देवी की हत्या हो गई। 

2. ददुआ यानी बुंदेलखंड का वीरप्पन : एक साथ 9 लोगों को गोली मारकर हत्या कर दी थी

1970 के दशक में शिव कुमार पटेल उर्फ़ ‘ददुआ’ का नाम चंबल के बीहड़ों में दहशत का पर्याय था। उसे ‘बुंदेलखंड का वीरप्पन’ भी कहा जाता था। उसने 200 से ज्यादा हत्याएं की थीं, लेकिन पुलिस इनमें से कुछ ही दर्ज कर पाई थी। उसके दहशत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर किसी को प्रधान, विधायक और सांसद का चुनाव लड़ना होता था तब उसे एक मोटी रकम चढ़ावे में चढ़ाना पड़ता था। यूपी और मध्य प्रदेश में ददुआ के खिलाफ करीब 400 मामले दर्ज थे। यूपी पुलिस ने उस पर 10 लाख रुपए का इनाम रखा था।

बुंदेलखंड में डकैत ददुआ की प्रतिमा भी लगाई गई है। 2007 में एसटीएफ की टीम ने ददुआ का एनकाउंटर किया था।

कहा जाता है कि ददुआ ने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए हथियार उठाया था। इसके बाद 1982 में उसने डाकुओं का गैंग बनाया और 1986 में एक साथी की हत्या के बाद 9 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद 1992 में मडइयन नाम के गांव में तीन लोगों की हत्या कर दी और पूरे गांव को आग के हवाले कर दिया था। ददुआ के भय से यूपी और मध्यप्रदेश के कई जिलों के लोग खौफ खाते थे। हालांकि कई गांवों में ददुआ गरीबों का मसीहा भी था। बुंदेलखंड में डकैत ददुआ की प्रतिमा भी लगाई गई है। 2007 में एसटीएफ की टीम ने ददुआ गैंग को घेर लिया और ददुआ और उसके कई साथियों को मार गिराया। कहा जाता है कि उसकी तलाश में 100 करोड़ से ज्यादा खर्च हो गए थे।

3. निर्भय गुर्जर : दो राज्यों की पुलिस ने ढाई- ढाई लाख का इनाम रखा था

निर्भय गुर्जर चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत था। 8 नवंबर 2005 में यह पुलिस मुठभेड़ में मारा गया। उस पर यूपी और मध्य प्रदेश सरकारने 2.5- 2.5 लाख रुपए का इनाम रखा था। निर्भय गुर्जर के खिलाफ अपहरण और हत्‍या के 200 से अधिक मामले पुलिस थानों में दर्ज थे। निर्भय गुर्जर को लड़कियां बहुत पसंद थीं। वह अपनी गैंग में लड़कियों को भी रखता था। इनमें सीमा परिहार, मुन्नी पांडे, पार्वती उर्फ चमको, सरला जाटव और नीलम प्रमुख थीं।

निर्भय गुर्जर पर यूपी और मध्य प्रदेश की सरकार ने ढाई-ढाई लाख का इनाम रखा था। 8 नवंबर 2005 को पुलिस मुठभेड़ में वह मारा गया। 

उसने चार-चार शादियां की थी। कहा जाता है कि निर्भय गुर्जर के अपराधी बनने की शुरुआत एक चोरी के केस से हुई थी जिसमें पुलिस ने उसकी जमकर पिटाई कर दी थी। इसके बाद वह डाकुओं के एक गैंग में शामिल हो गया। वहां उसका मतभेद हुआ तो अपना खुद का गैंग बना लिया और यूपी और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में दहशत फैलाने लगा। चोरी, डकैती, हत्या के साथ ही वह लोगों के हाथ- पैर भी काट लेता था। 

4. श्रीप्रकाश शुक्ला : बिहार सरकार के मंत्री का मर्डर, यूपी के सीएम की हत्या की सुपारी

श्रीप्रकाश शुक्‍ला शार्प शूटर और सुपारी किलर नाम से फेमस था। उसके  खौफ से पूरा उत्तर प्रदेश कांपता था। श्रीप्रकाश शुक्ला का जन्म गोरखपुर के ममखोर गांव में हुआ था। वह अपने गांव का मशहूर पहलवान हुआ करता था। 1993 में एक युवक ने उसकी बहन के साथ छेड़खानी कर दी। इसके बाद उसने उसकी हत्या कर दी। यह उसके जीवन का पहला जुर्म था। इस मर्डर के बाद वह बैंकॉक भाग गया। लेकिन, वहां ज्यादा दिन नहीं रह सका और भारत लौट आया। यहां वह मोकामा (बिहार) के सूरजभान गैंग में शामिल हो गया। 

श्रीप्रकाश शुक्‍ला शार्प शूटर और सुपारी किलर नाम से फेमस था। 1998 में एसटीएफ ने मुठभेड़ में श्रीप्रकाश को मार गिराया।

श्रीप्रकाश ने 1997 में लखनऊ में बाहुबली नेता वीरेन्द्र शाही की हत्या कर दी। इसके बाद 13 जून 1998 को बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद को उनके सुरक्षाकर्मियों के सामने ही गोलियों से छलनी कर दिया था। यहां तक कहा जाता है कि श्रीप्रकाश ने उस समय के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या का सुपारी ली थी। 5 करोड़  में सीएम की हत्या का सौदा तय हुआ था। 

4 मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्‍कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने 50 जवानों का एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) बनाया। इस फोर्स का पहला टास्क था श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ना। 23 सितंबर 1998 को एसटीएफ ने मुठभेड़ में श्रीप्रकाश को मार गिराया था। श्रीप्रकाश शुक्‍ला के नाम पर सहर फिल्म बनी थी। वेब सीरीज ‘रंगबाज’ को भी उसी की कहानी पर आधारित माना जाता है।

5. मुन्ना बजरंगी : 250 रुपए के तमंचे से खड़ा किया 250 करोड़ का साम्राज्य

पूर्वांचल के कुख्यात गैंगस्टर प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की हत्या 2018 में बागपत जेल में गोली मारकर की गई थी। लोग बताते हैं कि उसे बचपन से ही डाकुओं पर बनी फिल्में देखने का शौक था। पांचवीं के बाद मुन्ना ने पढ़ाई छोड़ दी। महज 14 साल की उम्र में उसने मामूली विवाद में 250 रुपए में पिस्टल खरीदी और बिना कुछ सोचे समझे पड़ोसी की हत्या कर दी। 

इसके बाद उसने 1984 में एक व्यापारी की हत्या कर दी। 1996 में जौनपुर के बीजेपी नेता रामचंद्र सिंह की हत्या करने के बाद वह पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी के गैंग में शामिल हो गया।1996 में ही मुख्तार अंसारी ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर मऊ से चुनाव लड़ा और विधायक बना। इसके बाद पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी के इशारे पर मुन्ना करने लगा। 

मुन्ना बजरंगी पर सात लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। 2018 में बागपत जेल में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी गई।

2005 में दिन दहाड़े भाजपा नेता की हत्या

29 नवंबर 2005 को मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की दिन दहाड़े हत्या कर दी। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर 400 से ज्यादा गोलियां चलाईं थी। इस हत्याकांड के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया। उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। 

बजरंगी को डर था कि उसका एनकाउंटर किया जा सकता है। इसलिए उसने अपनी गिरफ्तारी की खुद योजना बनाई। 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके से गिरफ्तार कर लिया। मुन्ना बजरंगी ने अपने 20 साल के आपराधिक जीवन में करीब 40 हत्याएं की। 

Related posts

लद्दाख में 4.5 तीव्रता का भूकंप, करगिल से 200 किमी उत्तर-पश्चिम में था केंद्र; मेघालय में भी झटके

News Blast

ईएसआईसी में प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीज का सफल इलाज, तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी

News Blast

गुड़गांव में मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर लिए जाएंगे सैंपल

News Blast

टिप्पणी दें