- चीन की ओर से हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र (एसएआर) के लिए एक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पास करने के बाद खड़ा हुआ विवाद
- अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन सहित कई देशों ने चीन के इस फैसले का विरोध किया, इसे मानवीय अधिकारों का उल्लंघन बताया
दैनिक भास्कर
Jul 02, 2020, 02:25 AM IST
जेनेवा. हांगकांग में चीन की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने का दुनियाभर में विरोध तेज हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप सहित कई देशों के बाद अब भारत ने भी इस मामले में चीन के रूख पर चिंता जताई है।
भारत के राजदूत और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि राजीव के चंदर ने संयुक्त राष्ट्र संघ में कहा, ”हांगकांग में भारी संख्या में प्रवासी भारतीय रहते हैं जो हांगकांग को अपना घर मानते हैं। भारतीय समुदाय के हित को देखते हुए, हम हालिया घटनाक्रमों पर कड़ी नजर रखे हुए है। हाल के दिनों में इस मुद्दे पर कई तरह चिंताजनक जानकारी सामने आई है।”
38 हजार से ज्यादा भारतीय रहते हैं
एक रिपोर्ट के मुताबिक, हांगकांग में 38 हजार से ज्यादा भारतीय नागरिक रहते हैं। खासतौर पर मकाऊ क्षेत्र में प्रवासी भारतीय नागरिकों की काफी संख्या है। चीन की ओर से विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के बाद से हांगकांग में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। चीनी पुलिस ने 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन सहित कई देश विरोध में उतरे
हांगकांग में चीन के नए कानून को लेकर दुनियाभर में विरोध हो रहा है। अमेरिका ने कहा है कि वह चुपचाप नहीं बैठेगा और किसी भी परिस्थिति में चीन को हॉन्गकॉन्ग पर मनमाना कानून लागू कर उसकी आजादी छीनने नहीं देगा। वहीं, चीन ने विदेशी आलोचकों से कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है, कोई और इसमें टांग न अड़ाए।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा, “चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हान्गकान्ग पर मनमाना और कठोर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया है। इससे हान्गकान्ग की स्वायत्तता और आजादी खत्म हो जाएगी। इससे चीन की उपलब्धि भी नष्ट हो जाएगी।”
हान्गकान्ग के लोग बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं: अमेरिका
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, हान्गकान्ग ने दुनिया को दिखाया है कि स्वतंत्र चीनी लोग बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। हान्गकान्ग दुनिया में एक सफल अर्थव्यवस्था होने के साथ ही विभिन्नताओं वाला समाज होने जैसी मिसाल भी पेश करता है। इससे पहले अमेरिका ने हान्गकान्ग को डिफेंस इक्विपमेंट और टेक्नोलॉजी के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा की है।