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निजी अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी लागू हाेंगे नीट के नियम, अल्पसंख्यकों को संविधान से मिले अधिकारों का हनन नहीं करता नीट

  • एमबीबीएस, बीडीएस पीजी कोर्सेस में प्रवेश के लिए निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर भी नीट लागू होगी
  • क्रिश्चियन मेडिकल कालेज, वेल्लोर, मणिपाल विश्वविद्यालय आदि शिक्षण संस्थान ने दायर की थी सुप्रीम कोर्ट में याचिका 

दैनिक भास्कर

May 01, 2020, 10:29 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में अहम व्यवस्था देते हुए कहा है कि मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों पर भी लागू होगी। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने फैसले में कहा कि कहा है कि एमबीबीएस और बीडीएस तथा पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक व्यावसायिक कॉलेजों पर भी नीट लागू होगी। 

नीट से किसी भी अधिकार का हनन नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि नीट से धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक समूहों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों को संचालित करने के अधिकार में हस्तक्षेप किया गया है। नीट से अल्पसंख्यकों को संविधान से मिले किसी भी अधिकार का हनन नहीं होता है। कोर्ट ने कहा, नीट व्यवस्था में व्याप्त खामियों को निकाल बाहर करने का पहला कदम है, इससे पीछे कदम खींचना राष्ट्र हित में नहीं होगा।

विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने दायर की थी याचिका

इस मुद्दे पर कोर्ट में याचिका दायर करने वाली शिक्षण संस्थाओं में क्रिश्चियन मेडिकल कालेज, वेल्लोर, मणिपाल विश्वविद्यालय, एसआरएम मेडिकल कालेज अस्पताल और कर्नाटक प्राइवेट मेडिकल एंड डेंटल कॉलेज एसोसिएशन शामिल थे। पीठ ने कहा कि भारतीय चिकित्सा परिषद कानून के प्रावधान और नियम असांविधानिक नहीं है और न ही वे सहायता प्राप्त और सहायता नहीं पाने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों को संविधान के विभिन्न प्रावधानों में प्रदत्त अधिकारों का हनन करते हैं।

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