विभिन्न आतंकवादी संगठनों का नेटवर्क रहने की वजह से उन्हें अपनी विचारधारा वाले लोगों की पहचान करने और उन्हें जोड़ने में आसानी होती है।
भोपाल में ऐशबाग और शाहजहांनाबाद क्षेत्र में जेएमबी, पीएफआइ के बाद एचयूटी की सक्रियता रही है। इसकी वजह यह कि यहां की कोलोनियों में नए लोगों के आने-जाने और ठहरने में रहवासियों को कोई आपत्ति नहीं होती। इसी कारण वह घनी आबादी वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
पुलिस की सख्ती भी नहीं है। आसानी से किराये के मकान उपलब्ध हो जाते हैं।
विवेक जौहरी, पूर्व पुलिस महानिदेशक, मप्र
चैटिंग एप बदल-बदलकर उपयोग करने से संदेह के घेरे में आए एचयूटी के सदस्य
कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) का मास्टरमाइंड यासिर खान लगभग एक वर्ष में तीन ठिकाने बदल चुका था। एटीएस द्वारा गिरफ्तार किए गए एचयूटी के सदस्य बातचीत के लिए चैटिंग एप का उपयोग करते थे। वे एप भी जल्दी-जल्दी बदल लेते थे। इस कारण इन पर संदेह गहरा हो गया था। एक पूरी टीम इस विचारधारा के लोगों पर निगरानी कर रही थी, इसके लिए घंटों तक तकनीकी सहायकों की मदद ली जाती थी, लेकिन कार्रवाई के लिए उचित समय का इंतजार हो रहा था। वे चुपके से कहीं आते-जाते थे। इस कारण पुलिस के खुफिया तंत्र की इन पर तीन वर्ष से निगाह थी। बता दें कि मप्र आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) ने मंगलवार को एचयूटी से जुड़े 16 लोगों को गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने आरोपितों को 19 मई तक एटीएस की रिमांड पर सौंपा है। उनसे पूछताछ की जा रही है।