भगवान शंकर और भगवान राम एक-दूसरे की पूजा करते हैं। एक-दूसरे के आराध्य हैं। राम के पैरों में कष्ट न हो इसके लिए भगवान शंकर ने नर्मदा नदी के सभी पत्थरों को गोल कर दिए। प्रेम बुरा नहीं है, पर मर्यादा में होना चाहिए। प्रेम के प्रति समाज में नैतिक मर्यादा होना चाहिए।
यह बात कालिदास अकादमी में विक्रमोत्सव के अंतर्गत राम के शंकर विषय पर डा. कुमार विश्वास ने रामकथा कहते हुए कही। उद्बोधन का प्रारंभ राम और देवताओं की वंदना से हुआ।डा. विश्वास ने कामदेव के विषय में कहा कि महाकवि कालिदास ने ऋतु संहार में कामदेव का बड़ा सुंदर वर्णन किया है। आज कामदेव प्रत्येक शरीर के भीतर विराजमान है। यह भगवान शिव का कामदेव की पत्नी को दिया वरदान है। देवताओं के आग्रह पर कामदेव शिव की तपस्या के बीच बसंत फैला देते हैं।
यह देख शिव क्रोधित होते हैं और तीसरे नेत्र से कामदेव को भस्म कर देते हैं। इस पर कामदेव की पत्नी शिव से कहती हैं कि बसंत फैलाने पर उनके का क्या दोष था। उन्होंने तो देवताओं की आज्ञा का पालन किया था, फिर इस तरह दंडित क्यों किया। इस पर शिव ने वरदान दिया कि जब तक संसार है, तब तक प्रत्येक शरीर में अशरीर भाव के साथ विराजित रहेंगे।
पहली बार जब राम ने अपने भाई लक्ष्मण के साथ वाटिका में पहली बार सीता को देखा, तो राम ने लक्ष्मण से कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा है कि उनके हृदय पर काम ने विजय की दुदुंभी बजाई हो। राम के वन जाने पर लक्ष्मण को उनकी मां ने समझाया कि जहां राम हैं वहीं अयोध्या है। पार्वती द्वारा कठोर तपस्या करने के बाद शिव ने सप्तऋषियों को पार्वती के पास भेजा। वहां पार्वती के सप्तऋषियों को शास्त्रार्थ में पराजित किया।
तब शरीर पर चिता की भस्म रमाये ही शिव बारात लेकर विवाह करने पहुंच गए। यह दुनिया की पहली बारात था। विवाह में बारात की परंपरा शुरू हुई। पहले बसंत महीनेभर आमोद प्रमोद के लिए होता है, आज एक दिन का वैलेंटाइन डे मनाते हैं। आजादी के बाद कैलेंडर बदला है, पुनः देश में विक्रम संवत के अनुसार समय चलना चाहिए।
प्रेम के बारे में कुमार विश्वास ने कहा कि प्रेम ऐसा नहीं होना चाहिए कि लड़की के 35 टुकड़े हो जाएं। प्रेम में समाज को नैतिक मर्यादा का पालन करना चाहिए। अगर भगवान पर भरोसा है तो समस्या और चुनौतियों को भगवान के ऊपर छोड़ देना चाहिए।